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नमाज पूरी कैसे पढ़ी जाती है?

नमाज़ इस्लाम धर्म में सबसे महत्वपूर्ण इबादतों में से एक है। हर मुसलमान पर दिन में पांच बार नमाज़ पढ़ना फर्ज़ है। नमाज़ पढ़ने का सही तरीका जानना बहुत जरूरी है ताकि हमारी इबादत अल्लाह ताला के दरबार में कबूल हो। इस लेख में, हम नमाज़ को पूरी और सही तरीके से अदा करने के बारे में विस्तार से जानेंगे।

नमाज पूरी कैसे पढ़ी जाती है?

नमाज़ के लिए तैयारी

नमाज़ शुरू करने से पहले कुछ बुनियादी चीजें हैं जिनका ध्यान रखना जरूरी है:

  • वज़ू: नमाज़ से पहले वज़ू करना अनिवार्य है। वज़ू में हाथ, मुंह, नाक, चेहरा, कोहनी तक हाथ और पैर धोए जाते हैं। सिर और कानों का मसह किया जाता है।
  • शरीर और कपड़े पाक: नमाज़ पढ़ने वाले का शरीर और कपड़े पाक (साफ) होने चाहिए। अगर कोई नापाकी लगी हो तो उसे धो लेना चाहिए।
  • जगह पाक: जिस जगह पर नमाज़ पढ़ रहे हैं, वह जगह भी पाक होनी चाहिए।
  • क़िब्ला की तरफ मुँह: नमाज़ पढ़ते समय काबा (मक्का) की तरफ मुँह करना ज़रूरी है। इसे क़िब्ला कहते हैं।
  • नियत: दिल में नमाज़ पढ़ने की नियत करना ज़रूरी है। नियत का मतलब है कि आप किस वक़्त की नमाज़ पढ़ रहे हैं, यह तय करना।

नमाज़ पढ़ने का तरीका

नमाज़ में कई चरण होते हैं जिन्हें सही क्रम में करना होता है। हर चरण को रुकन कहते हैं।

1. तकबीर-ए-तहरीमा

सबसे पहले, दोनों हाथ कानों तक उठाकर “अल्लाहु अकबर” कहना होता है। इसे तकबीर-ए-तहरीमा कहते हैं। तकबीर कहते समय हथेलियाँ क़िब्ला की तरफ होनी चाहिए।

2. कियाम

तकबीर कहने के बाद हाथ बांधकर खड़े हो जाएं। मर्दों को नाभि के नीचे और औरतों को सीने पर हाथ बांधने चाहिए। फिर सना पढ़ें:

सुब्हान कल्लाहुम्मा व बि हमदिका व तबार कस्मुका व तआला जद्दुका व ला इलाहा गैरुक

3. सूरह फातिहा और सूरह मिलाना

सना पढ़ने के बाद सूरह फातिहा पढ़ें:

अलहम्दु लिल्लाही रब्बिल आलमीन अर्रहमानिर्रहीम मालिकि यौमिद्दीन इय्याका ना’बुदु व इय्याका नस्तईन इहदिनस्सिरातल मुस्तकीम सिरातल लज़ीना अन अमता अलैहिम गैरिल मग़दूबी अलैहिम व ला अद्दाल्लीन (आमीन)

इसके बाद कोई भी सूरह पढ़ें जो आपको याद हो, जैसे सूरह इखलास:

कुल हु अल्लाहु अहद अल्लाहुस्समद लम यलिद व लम यूलद व लम यकुल्लाहू कुफुवन अहद

4. रुकू

सूरह पढ़ने के बाद “अल्लाहु अकबर” कहते हुए झुक जाएं। घुटनों को पकड़ लें और पीठ को सीधा रखें। रुकू में कम से कम तीन बार “सुब्हाना रब्बियल अज़ीम” कहें।

5. कौमा

रुकू से उठते वक़्त “समिअल्लाहु लिमन हमिदह” कहें। सीधे खड़े हो जाएं और कहें “रब्बना लकल हम्द”।

6. सजदा

“अल्लाहु अकबर” कहते हुए सजदे में जाएं। सजदे में माथा, नाक, दोनों हथेलियाँ, दोनों घुटने और दोनों पैर ज़मीन पर लगने चाहिए। सजदे में कम से कम तीन बार “सुब्हाना रब्बियल आला” कहें।

7. जलसा

सजदे से उठकर बैठ जाएं। इसे जलसा कहते हैं। जलसे में “अल्लाहु अकबर” कहें।

8. दूसरा सजदा

फिर से “अल्लाहु अकबर” कहते हुए दूसरा सजदा करें। सजदे में कम से कम तीन बार “सुब्हाना रब्बियल आला” कहें।

यह एक रकात पूरी हो गई। दूसरी रकात में सूरह फातिहा और कोई सूरह मिलाकर रुकू और सजदा करें।

9. अत-तहिय्यात

दूसरी रकात के बाद बैठ जाएं और अत-तहिय्यात पढ़ें:

अत्तहिय्यातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तय्यिबात अस्सलामु अलैका अय्युहन्नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व बरकातहू अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन अशहदु अन ला इलाहा इल्लल्लाहु व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह

अगर आप दो रकात वाली नमाज़ पढ़ रहे हैं (जैसे फज्र की नमाज़), तो अत-तहिय्यात के बाद दुरूद शरीफ और दुआ पढ़ें।

10. दुरूद शरीफ

अत-तहिय्यात के बाद दुरूद शरीफ पढ़ें:

अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व अला आले मुहम्मदिन कमा सल लैता अला इब्राहीमा व अला आले इब्राहीम इन्नका हमीदुम मजीद अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिव व अला आले मुहम्मदिन कमा बारकता अला इब्राहीमा व अला आले इब्राहीम इन्नका हमीदुम मजीद

11. दुआ

दुरूद शरीफ के बाद कोई भी दुआ पढ़ें जो आपको याद हो, जैसे:

रब्बना आतिना फ़िद्दुन्या हसनतंव व फ़िल आखिरति हसनतंव व किना अज़ाबन्नार

12. सलाम

दुआ पढ़ने के बाद पहले दायें तरफ और फिर बाएं तरफ मुंह करके “अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह” कहें।

अगर आप तीन या चार रकात वाली नमाज़ पढ़ रहे हैं, तो अत-तहिय्यात के बाद खड़े हो जाएं और बाकी रकातें पूरी करें। आखिरी रकात में अत-तहिय्यात, दुरूद शरीफ और दुआ पढ़ने के बाद सलाम फेरें।

नमाज़ के ज़रूरी हिस्से (फर्ज़)

नमाज़ के कुछ फर्ज़ हैं जिनके बिना नमाज़ नहीं होती:

  • तकबीर-ए-तहरीमा: नमाज़ की शुरुआत में “अल्लाहु अकबर” कहना।
  • कियाम: नमाज़ में खड़े होना।
  • किरात: नमाज़ में कुरान पढ़ना।
  • रुकू: नमाज़ में झुकना।
  • सजदा: नमाज़ में ज़मीन पर माथा टेकना।
  • कायदा-ए-अख़ीरा: नमाज़ के आखिर में बैठना और अत-तहिय्यात पढ़ना।

नमाज़ के वाजिब हिस्से

नमाज़ के कुछ वाजिब हिस्से हैं जो फर्ज़ की तरह ज़रूरी तो नहीं हैं, लेकिन अगर छूट जाएं तो सजदा-ए-सहव करना पड़ता है:

  • सूरह फातिहा पढ़ना।
  • सूरह फातिहा के बाद कोई और सूरह मिलाना।
  • रुकू और सजदे में तस्बीह पढ़ना।
  • दोनों सजदों के बीच में बैठना।
  • अत-तहिय्यात पढ़ना।

नमाज़ में गलतियों से बचने के तरीके

  • नमाज़ को आहिस्ता-आहिस्ता और समझ कर पढ़ें।
  • हर रूकुन को सही तरीके से अदा करें।
  • नमाज़ के दौरान दुनियावी बातों से बचें।
  • नमाज़ में ध्यान लगाने की कोशिश करें।
  • अगर कोई गलती हो जाए तो सजदा-ए-सहव करें।

नमाज़ के फायदे

नमाज़ पढ़ने के बहुत सारे फायदे हैं:

  • नमाज़ अल्लाह ताला को राजी करने का एक जरिया है।
  • नमाज़ गुनाहों से दूर रखती है।
  • नमाज़ दिल को सुकून देती है।
  • नमाज़ इंसान को पाबंद बनाती है।
  • नमाज़ से सेहत अच्छी रहती है।

निष्कर्ष

नमाज़ इस्लाम का एक अहम رکن है। हर मुसलमान को चाहिए कि वह नमाज़ को सही तरीके से अदा करे और इसकी अहमियत को समझे। अल्लाह ताला हम सबको नमाज़ पढ़ने की तौफीक अता फरमाए। आमीन!

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

अगर नमाज़ में कोई रूकुन छूट जाए तो क्या करें?

अगर नमाज़ में कोई फर्ज़ रूकुन छूट जाए तो नमाज़ दोबारा पढ़नी होगी। अगर कोई वाजिब रूकुन छूट जाए तो सजदा-ए-सहव करना होगा।

सजदा-ए-सहव कैसे करते हैं?

आखिरी रकात में अत-तहिय्यात पढ़ने के बाद सिर्फ दायें तरफ सलाम फेरें और दो सजदे करें। फिर से अत-तहिय्यात, दुरूद शरीफ और दुआ पढ़कर दोनों तरफ सलाम फेरें।

क्या औरतों और मर्दों की नमाज़ में कोई फर्क होता है?

हाँ, औरतों और मर्दों की नमाज़ में कुछ फर्क होता है। मसलन, औरतें सीने पर हाथ बांधती हैं और रुकू में थोड़ा कम झुकती हैं।

क्या सफर में नमाज़ में कोई छूट मिलती है?

हाँ, सफर में चार रकात वाली नमाज़ को दो रकात पढ़ा जा सकता है। इसे कसर करना कहते हैं।

नमाज़ की कितनी रकातें होती हैं?

हर नमाज़ की रकातों की तादाद अलग-अलग होती है: फज्र (2 रकात), ज़ुहर (4 रकात), असर (4 रकात), मगरिब (3 रकात) और ईशा (4 रकात)।