धनतेरस की पूजा कैसे करे

धनतेरस, दिवाली के त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्योहार भगवान धन्वंतरि को समर्पित है, जिन्हें आयुर्वेद का जनक और देवताओं का चिकित्सक माना जाता है। इस दिन, लोग नए बर्तन, सोना और चांदी खरीदते हैं, और भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। यदि आप जानना चाहते हैं कि धनतेरस की पूजा कैसे करें, तो यह लेख आपके लिए है।
धनतेरस पूजा की तैयारी
धनतेरस की पूजा शुरू करने से पहले, कुछ तैयारी करना महत्वपूर्ण है:
- पूजा के लिए एक साफ जगह चुनें।
- एक चौकी या पटिया स्थापित करें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां या चित्र स्थापित करें।
- फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप और रोली, कुमकुम, अक्षत (चावल) जैसी पूजा सामग्री एकत्रित करें।
- नए बर्तन या सोने-चांदी के आभूषण तैयार रखें, जिन्हें आप पूजा में शामिल करना चाहते हैं।
धनतेरस पूजा विधि
यहाँ धनतेरस की पूजा करने का एक चरण-दर-चरण तरीका बताया गया है:
- संकल्प: सबसे पहले, अपने दाहिने हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर संकल्प लें कि आप यह पूजा श्रद्धापूर्वक कर रहे हैं। अपना नाम और गोत्र बोलें और अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
- कलश स्थापना: एक कलश में जल भरकर, उसमें सुपारी, दूर्वा, अक्षत और कुछ सिक्के डालें। कलश के ऊपर एक नारियल रखें और उसे लाल कपड़े से बांध दें। यह कलश भगवान गणेश का प्रतीक है और पूजा की शुरुआत में स्थापित किया जाता है।
- भगवान धन्वंतरि का आवाहन: भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र के सामने धूप और दीप जलाएं। उन्हें फूल, फल और मिठाई अर्पित करें। धन्वंतरि मंत्रों का जाप करें। आप “ॐ नमो भगवते धन्वंतराय अमृतकलश हस्ताय सर्वमय विनाशनाय त्रैलोक्यनाथाय श्री महाविष्णवे नमः” मंत्र का जाप कर सकते हैं।
- देवी लक्ष्मी की पूजा: भगवान धन्वंतरि की पूजा के बाद, देवी लक्ष्मी की पूजा करें। उन्हें लाल फूल, फल, मिठाई और कमल गट्टे अर्पित करें। लक्ष्मी मंत्रों का जाप करें। आप “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप कर सकते हैं।
- नए बर्तन और आभूषणों की पूजा: नए बर्तन और सोने-चांदी के आभूषणों को पूजा स्थल पर रखें। उन्हें रोली, कुमकुम और अक्षत से तिलक करें। उन पर फूल और मिठाई अर्पित करें।
- आरती: भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की आरती करें।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद, प्रसाद को परिवार और दोस्तों के बीच वितरित करें।
धनतेरस पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
धनतेरस की पूजा करते समय, कुछ बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है:
- पूजा को हमेशा शुभ मुहूर्त में करें।
- पूजा करते समय साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
- पूजा को श्रद्धा और भक्ति के साथ करें।
- पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सभी सामग्री शुद्ध होनी चाहिए।
- गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
धनतेरस का महत्व
धनतेरस एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो स्वास्थ्य, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
धनतेरस पर क्या खरीदें
धनतेरस पर सोना, चांदी, नए बर्तन और अन्य चीजें खरीदना शुभ माना जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई चीजें घर में सौभाग्य और समृद्धि लाती हैं। आप अपनी आवश्यकता और बजट के अनुसार कुछ भी खरीद सकते हैं।
धनतेरस से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- धनतेरस को धन्वंतरि त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है।
- यह त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
- इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे।
- धनतेरस के दिन यमदीपदान भी किया जाता है, जिसमें यमराज के नाम पर दीप जलाए जाते हैं।
धनतेरस पूजा के लाभ
धनतेरस की पूजा करने से कई लाभ होते हैं:
- रोगों से मुक्ति मिलती है।
- अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
- धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
- सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- घर में सुख-शांति बनी रहती है।
धनतेरस पर यम के नाम का दीपक क्यों जलाते हैं?
धनतेरस पर यम के नाम का दीपक जलाने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यमराज के लिए दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और परिवार के सदस्यों की रक्षा होती है। यह दीपक घर के बाहर दक्षिण दिशा में जलाया जाता है।
धनतेरस में किस भगवान की पूजा होती है?
धनतेरस में मुख्य रूप से भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा होती है। भगवान धन्वंतरि को स्वास्थ्य और आयुर्वेद का देवता माना जाता है, जबकि देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है।
धनतेरस की कथा क्या है?
धनतेरस से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। दूसरी कथा के अनुसार, एक राजा हेमा के पुत्र की कुंडली में विवाह के चौथे दिन मृत्यु का योग था। यमराज ने जब नाग के रूप में आकर राजकुमार के प्राण हरने चाहे तो राजकुमार की पत्नी ने नाग को घर के भीतर प्रवेश करने से रोक दिया और उसे सोने के आभूषणों से मोहित कर दिया। इस तरह राजकुमार की जान बच गई।
धनतेरस पर क्या नहीं खरीदना चाहिए?
हालांकि धनतेरस पर कुछ भी खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें खरीदने से बचना चाहिए, जैसे:
- लोहे की चीजें: ऐसा माना जाता है कि धनतेरस पर लोहे की चीजें खरीदने से दुर्भाग्य आता है।
- कांच की चीजें: कांच की चीजें राहु ग्रह से संबंधित मानी जाती हैं, इसलिए इन्हें खरीदने से बचना चाहिए।
- धारदार चीजें: चाकू, कैंची और अन्य धारदार चीजें खरीदने से भी बचना चाहिए।
धनतेरस पूजा का मंत्र क्या है?
धनतेरस पूजा में आप कई मंत्रों का जाप कर सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख मंत्र निम्नलिखित हैं:
- भगवान धन्वंतरि मंत्र: “ॐ नमो भगवते धन्वंतराय अमृतकलश हस्ताय सर्वमय विनाशनाय त्रैलोक्यनाथाय श्री महाविष्णवे नमः”
- देवी लक्ष्मी मंत्र: “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”
निष्कर्ष
धनतेरस एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हमें अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करने का अवसर देता है। इस दिन, भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा करके, हम अपने जीवन में सुख और शांति ला सकते हैं। उम्मीद है कि यह लेख आपको धनतेरस की पूजा करने में मदद करेगा।