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पटाखा कैसे बनता है

दिवाली का त्यौहार रौशनी और खुशियों का त्यौहार है, और इस त्यौहार में पटाखे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर कोई पटाखों की आवाज़ और रौशनी का आनंद लेता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये पटाखे कैसे बनते हैं? आज हम आपको बताएँगे कि पटाखा कैसे बनता है, इसके पीछे की विज्ञान क्या है, और इससे जुड़ी सावधानियां क्या हैं।

पटाखा कैसे बनता है

पटाखे बनाने की प्रक्रिया: एक विस्तृत विवरण

पटाखा बनाना एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई चरणों का पालन करना होता है। यह प्रक्रिया खतरनाक भी हो सकती है, इसलिए इसे हमेशा प्रशिक्षित और अनुभवी लोगों द्वारा ही किया जाना चाहिए।

1. सामग्री का चयन

पटाखे बनाने के लिए कई तरह की सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिनमें से कुछ मुख्य इस प्रकार हैं:

  • बारूद (Gunpowder): यह पटाखे का मुख्य घटक है जो जलने पर तेज़ गति से फैलता है और धमाका करता है। बारूद में आमतौर पर पोटेशियम नाइट्रेट (Potassium nitrate), सल्फर (Sulfur) और चारकोल (Charcoal) का मिश्रण होता है।
  • एल्युमिनियम पाउडर (Aluminum powder): यह चमक पैदा करने के लिए इस्तेमाल होता है।
  • स्ट्रोंटियम कार्बोनेट (Strontium carbonate): यह लाल रंग की रौशनी पैदा करता है।
  • बेरियम क्लोराइड (Barium chloride): यह हरे रंग की रौशनी पैदा करता है।
  • कॉपर क्लोराइड (Copper chloride): यह नीले रंग की रौशनी पैदा करता है।
  • सोडियम नाइट्रेट (Sodium nitrate): यह पीले रंग की रौशनी पैदा करता है।
  • डेक्सट्रिन (Dextrin): यह बाइंडर (binder) के रूप में उपयोग होता है, जो सभी सामग्री को एक साथ बांधे रखता है।
  • पेपर या कार्डबोर्ड (Paper or cardboard): यह पटाखे का खोल बनाने के लिए उपयोग होता है।

2. सामग्री का मिश्रण

सभी चयनित सामग्री को एक निश्चित अनुपात में मिलाया जाता है। यह अनुपात पटाखे के प्रकार और उसकी तीव्रता पर निर्भर करता है। इस मिश्रण को बनाने के लिए विशेष मशीनों का उपयोग किया जाता है ताकि सभी सामग्री अच्छी तरह से मिल जाएं और कोई गांठ न रहे।

3. पटाखे का आकार देना

मिश्रण तैयार हो जाने के बाद, इसे पटाखे का आकार दिया जाता है। यह आकार अलग-अलग प्रकार के पटाखों के लिए अलग-अलग होता है। जैसे, रॉकेट के लिए लंबा बेलनाकार आकार, और अनार के लिए गोल आकार। पटाखे का आकार देने के लिए सांचों (molds) का उपयोग किया जाता है।

4. सुखाना

आकार देने के बाद, पटाखों को अच्छी तरह से सुखाया जाता है। यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि गीले पटाखे ठीक से नहीं जलते और धमाका भी कमज़ोर होता है। पटाखों को सुखाने के लिए उन्हें धूप में या विशेष ड्रायर में रखा जाता है।

5. फ्यूज लगाना

सूखने के बाद, पटाखे में फ्यूज (fuse) लगाया जाता है। फ्यूज एक प्रकार की बत्ती होती है जिसे जलाने पर वह धीरे-धीरे जलती है और पटाखे के अंदर के बारूद तक आग पहुंचाती है, जिससे धमाका होता है। फ्यूज को पटाखे में सावधानीपूर्वक लगाया जाता है ताकि वह ठीक से काम करे।

6. पैकेजिंग

अंतिम चरण में, पटाखों को पैक किया जाता है। पैकेजिंग का उद्देश्य पटाखों को सुरक्षित रखना और उन्हें नमी से बचाना होता है। पैकेजिंग पर पटाखे के बारे में सभी आवश्यक जानकारी जैसे कि उसका नाम, प्रकार, और उपयोग करने के निर्देश लिखे होते हैं।

पटाखों के प्रकार

पटाखे कई प्रकार के होते हैं, और हर प्रकार के पटाखे को बनाने की विधि थोड़ी अलग होती है। कुछ लोकप्रिय प्रकार के पटाखे इस प्रकार हैं:

  • बम (Bomb): यह सबसे आम प्रकार का पटाखा है जो तेज़ धमाका करता है।
  • अनार (Flowerpot): यह जमीन पर रखकर जलाया जाता है और इससे रंगीन चिंगारियां निकलती हैं।
  • रॉकेट (Rocket): यह हवा में ऊँचाई तक जाता है और फिर फटता है, जिससे रंगीन रौशनी निकलती है।
  • चकरी (Ground spinner): यह जमीन पर घूमती है और चिंगारियां छोड़ती है।
  • फुलझड़ी (Sparkler): यह हाथ में पकड़कर जलाई जाती है और इससे चमकती हुई चिंगारियां निकलती हैं।

पटाखों का उपयोग करते समय सावधानियां

पटाखे जलाने में मज़ा तो आता है, लेकिन इनका उपयोग करते समय सावधानी बरतना बहुत ज़रूरी है। कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां इस प्रकार हैं:

  • हमेशा खुले स्थान पर पटाखे जलाएं।
  • बच्चों को अकेले पटाखे न जलाने दें। उन्हें हमेशा किसी बड़े की निगरानी में ही पटाखे जलाने चाहिए।
  • पटाखों को जलाते समय हमेशा उचित दूरी बनाए रखें।
  • कभी भी शरीर के किसी अंग से पटाखे को न पकड़ें।
  • जले हुए पटाखों को तुरंत पानी में डाल दें।
  • पटाखों को ज्वलनशील पदार्थों के पास न जलाएं।
  • हमेशा लाइसेंस प्राप्त दुकान से ही पटाखे खरीदें।

पर्यावरण पर पटाखों का प्रभाव

पटाखे जलाने से पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। पटाखों से निकलने वाले धुएं में हानिकारक रसायन होते हैं जो वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, पटाखों से निकलने वाली तेज़ आवाज़ ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है। इसलिए, हमें पटाखों का उपयोग कम से कम करना चाहिए और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से त्यौहार मनाना चाहिए।

पटाखों के विकल्प

यदि आप पर्यावरण के प्रति जागरूक हैं और पटाखों का उपयोग कम करना चाहते हैं, तो कई विकल्प उपलब्ध हैं। आप दीये और मोमबत्तियां जलाकर रौशनी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप रंगोली बना सकते हैं और घर को फूलों से सजा सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

पटाखों में कौन-कौन से रसायन होते हैं?

पटाखों में मुख्य रूप से बारूद, एल्युमिनियम पाउडर, स्ट्रोंटियम कार्बोनेट, बेरियम क्लोराइड, कॉपर क्लोराइड और सोडियम नाइट्रेट जैसे रसायन होते हैं।

क्या पटाखे बनाना सुरक्षित है?

पटाखा बनाना खतरनाक हो सकता है क्योंकि इसमें ज्वलनशील रसायनों का उपयोग होता है। इसलिए, इसे हमेशा प्रशिक्षित और अनुभवी लोगों द्वारा ही किया जाना चाहिए।

पटाखों से निकलने वाले धुएं से क्या नुकसान होता है?

पटाखों से निकलने वाले धुएं में हानिकारक रसायन होते हैं जो वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

क्या हम घर पर पटाखे बना सकते हैं?

घर पर पटाखे बनाना गैरकानूनी और खतरनाक हो सकता है। ऐसा करने से बचना चाहिए।

पटाखे हमारे त्यौहारों का एक अभिन्न हिस्सा हैं, लेकिन हमें इनका उपयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। पर्यावरण और अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए ही हमें इनका आनंद लेना चाहिए। सुरक्षित रहें और खुशियाँ मनाएं!